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राजधानी समेत प्रदेश के कई जिलों में नर्सिंग कॉलेजों के नाम पर बड़ी गड़बड़ी सामने आ चुकी है। इसके बावजूद अफसर अपनी आंखों को बंद इनको मान्यता दे रहे हैं। इसका उदाहरण रातीबड़ क्षेत्र में स्थित अखिल भारती कॉलेज है। यहां पर कॉलेज की एक ही बिल्डिंग में पांच तरह के कॉलेज चल रहे हैं।
कॉलेज में कोर्स संचालित हो रहा है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए जब भी सरकारी अफसर पहुंचते हैं तो एंट्री गेट पर वही कोर्स संचालित होने का बोर्ड लगा मिलता है, जिसकी जांच होनी है। हर बार यह बोर्ड बदल जाता है।
यहां की एक ही बिल्डिंग में नर्सिंग, फार्मेसी, मैनेजमेंट, बीएड की पढ़ाई कराई जा रही है। खास बात यह है कि नर्सिंग कॉलेज के संचालन के लिए यहां पर 100 बेड का अस्पताल होने की बात कही गई है। यह गड़बड़ी केवल इसी कॉलेज नहीं की है, बल्कि ऐसी गड़बड़ी कर अन्य कोर्सों का संचालन करने वाले कॉलेजों की संख्या प्रदेश में सैकड़ों में है। इसकी जांच खुद राज्य सरकार के अफसर करा रहे हैं।
वहीं हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले वकील ने बताया कि जबलपुर स्थित एक कॉलेज की जांच करने पहुंचे तो कोठारी नर्सिंग कॉलेज में पता चला कि सरकार ने 2020-21 के लिए नर्सिंग की मान्यता दी है। उस पते पर स्पा संचालित हो रहा है। याचिकाकर्ता ने बताया कि इन संस्थानों में अप्रशिक्षित, अपात्र व्यक्ति पैरामेडिकल स्टाफ या नर्सिंग स्टाफ बनाया जा रहा है।
जबलपुर के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में अस्पताल, नर्सिंग कॉलेज, यूनिवर्सिटी चल रही; एक नर्सिंग कॉलेज के पते पर स्पा
- जबलपुर में संचालित महाकौशल विश्वविद्यालय में एक भवन सिर्फ इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए बनाया गया था, उसी में राधास्वामी इंजीनियरिंग कॉलेज, महाकौशल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, 100 बेड का अस्पताल, महाकौशल नर्सिंग कॉलेज, महाकौशल पैरामेडिकल कॉलेज, महाकौशल यूनिवर्सिटी का संचालन किया जा रहा है।
- छिंदवाड़ा में रानीअवन्ती बाई लोधी नर्सिंग कॉलेज का संचालन वेयर हाउस की बिल्डिंग में किया जा रहा है। यहीं चिरायु इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस कॉलेज एक हजार वर्गफीट के एक कमरे में चल रहा है। यहां न लैब है, न लाइब्रेरी।
कई कॉलेजों के पते फर्जी तो कई एक ही बिल्डिंग में चल रहे
हाईकोर्ट जबलपुर ने सभी नर्सिंग कॉलेजों के दस्तावेजों की जांच के बाद रिपोर्ट देने के लिए कहा था। हमने रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश कर दी है। 7 जुलाई को सुनवाई होगी। ज्यादातर नर्सिंग कॉलेज नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। कई के पते फर्जी है, जबकि कई कॉलेज की एक एक ही बिल्डिंग में कई प्रकार के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं।
– विशाल बघेल, अध्यक्ष, लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन, म.प्र.
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