न्यूज़ सुनें....
|
भोपाल….
राज्य सरकार नई अनुकंपा नियुक्ति की नीति में एक प्रावधान जोड़ रही है। इसके मुताबिक सरकारी नौकरी में यदि पिता की मृत्यु हो जाती है तो मां को यह अधिकार मिलेगा कि वह जिसे चाहे, उसका नाम अनुकंपा नियुक्ति के लिए आगे बढ़ा सकती है। इसी तरह यदि मां की शासकीय सेवा में रहते मौत हो जाए तो पिता को भी यही अधिकार मिलेंगे। साल 2014 की अनुकंपा नियुक्ति नियमों से इतर यह प्रावधान जोड़ा जाएगा।
मां-पिता को जिनके नाम आगे बढ़ाने का अधिकार होगा, उनमें पुत्र-पुत्री, विधवा, अविवाहित-विवाहित, नियमानुसार ली गई दत्तक संतान, तलाकशुदा पुत्री जो आश्रित हो आदि शामिल हैं। इसमें परिवार से बाहर का व्यक्ति भी हो सकता है। ऐसा करने के पीछे सरकार का तर्क है कि सरकार का इस प्रावधान के पीछे मत है कि नौकरी मिलने के बाद बच्चे माता-पिता को छोड़ देते हैं। नई नीति के बाद जो अच्छी देखरेख करेगा, उसे ही नौकरी मिलेगी।
7 साल की बाध्यता भी हटाई जा सकती है…
नई नीति में अनुकंपा नियुक्ति में सात साल की बाध्यता भी हटाने पर विचार हो रहा है। अभी यह प्रावधान है कि शासकीय सेवक की मृत्यु के दिन से सात साल तक ही अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता है। इसके बाद यदि कोई आता है तो उसे उसी शर्त पर नियुक्ति की पात्रता होगी कि वह लापता होने की एफआईआर पुलिस प्रतिवेदन के साथ जमा करे। नई नीति में इस बाध्यता के खत्म होने के बाद यदि कम उम्र में किसी शासकीय सेवक की मौत होती है और अनुकंपा नियुक्ति के लिए आश्रित की उम्र कम रहती है तो उसे सात साल का वक्त पूरा होने के बाद भी बिना किसी एफआईआर के नियुक्ति मिल जाएगी।
अभी अनुकंपा नियुक्ति के 15 से 20 हजार मामले लंबित
अनुकंपा नियुक्ति के अलग-अलग विभागों में 15 से 20 हजार मामले पेंडिंग हैं। नई नीति आने के बाद इससे जुड़े प्रकरण तेजी से खत्म होंगे। पिछली कैबिनेट में सरकार ने स्कूल शिक्षा विभाग के लिए एक बदलाव को मंजूरी दी है कि ‘संविदा शाला शिक्षक’ को ‘प्राथमिक शिक्षक / प्रयोगशाला शिक्षक’ कहा जाएगा। इस एक बदलाव से 8 हजार अनुकंपा नियुक्ति होने का रास्ता साफ हो गया है। संविदा शाला शिक्षक रहने से नियुक्ति के दौरान पात्रता परीक्षा पास करना, डीएड-बीएड होना जरूरी था। प्राथमिक शिक्षक/प्रयोगशाला शिक्षक होने से यह बाध्यता नहीं रहेगी। इस वर्ग में लिपिक का वेतनमान होता है।