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भोपाल….
आप कोई प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं और संदेह दूर करने के लिए उसका रिकॉर्ड चेक करना चाहते हैं तो यह काम फटाफट होगा। जल्द प्रॉपर्टी की ऑनलाइन सर्च 18 की जगह 30 साल तक की होगी। नई व्यवस्था लागू होने के बाद प्रॉपर्टी की लिंक रजिस्ट्री रखने की जरूरत भी लोगों को नहीं पड़ेगी।
एक प्रॉपर्टी को 30 साल में कितनी बार-किसने खरीदा और किसने किसको बेचा, इसकी डिटेल भी ऑनलाइन देख पाएंगे। पंजीयन विभाग के अफसरों ने बताया कि अभी तक प्रॉपर्टी की ऑनलाइन सर्च 2005 से 2023 तक की उपलब्ध है। इसके पहले की मैन्युअल सर्च 1994 तक की हो जाती है। लेकिन इसे भी ऑनलाइन किया जाएगा।
मैन्युअल रजिस्ट्री का डेटा डिजिटल होने से यह फायदा होगा…
1. मैन्युअल रजिस्ट्री खोने पर डिजिटल रजिस्ट्री की नकल ली जा सकेगी। रिकॉर्ड को मेंटेन करने में दिक्कत नहीं होगी।
अगस्त 2015 से शुरू हुई ई-रजिस्ट्री
शुरुआत में वर्ष 2000 से 2015 तक की मैन्युअल रजिस्ट्री को डिजिटल किया जा रहा है। अगस्त 2015 से प्रदेश में ई-रजिस्ट्री की सुविधा शुरू हुई थी। अब 2015 से पहले की मैन्युअल रजिस्ट्री के दस्तावेज भी डिजिटाइज कर रहे हैं। भोपाल के 4 लाख, इंदौर के 5 लाख, ग्वालियर के 2 लाख, जबलपुर के 2 लाख मैन्युअल रजिस्ट्री का रिकॉर्ड डिजिटल करेंगे। पहली बार 1908 में रजिस्ट्रेशन एक्ट बना था, तब से रजिस्ट्री हो रही है।
~50 शुल्क होगा ऑनलाइन सर्च का 1 साल के रिकॉर्ड का
आने वाले दिनों में…
खुद के कम्प्यूटर से प्रॉपर्टी सर्च कर सकेंगे
पंजीयन विभाग के अफसरों ने बताया कि भोपाल में अभी तक लोगों को प्रॉपर्टी की सर्च के लिए 12 दफ्तर स्थित जिला पंजीयन विभाग के रिकॉर्ड रूम में जाना पड़ता था। यहां पर जिस साल की प्रॉपर्टी सर्च करना है। उसके लिए 50 रुपए चुकाना पड़ता है। नई व्यवस्था में लोग घर बैठे अपने सिस्टम पर प्रॉपर्टी की सर्च रिपोर्ट हासिल कर सकेंगे। इसके लिए 50 रुपए शुल्क लिया जाएगा। इसके लिए व्यक्ति को लॉगइन आईडी बनाकर प्रॉपर्टी सर्च करना होगा।
ई-रजिस्ट्री होने से धोखाधड़ी कम हुई
अगस्त 2015 से मैन्युअल रजिस्ट्री को बंद करने के बाद संपदा सॉफ्टवेयर की मदद से ई-रजिस्ट्री के लिए सर्विस प्रोवाइडर स्लॉट बुक कर रजिस्ट्री करते हैं। नई व्यवस्था से प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री में धोखाधड़ी कम हो गई है। लोगों के समय की बचत हो रही है। जबकि पहले लोगों को रजिस्ट्री कराने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था। विभाग की योजना है कि सन 1990 तक का रिकॉर्ड धीरे-धीरे डिजिटल कर दिया जाए।
2. सर्च में आसानी होगी। मैन्युअल रिकॉर्ड को सुरक्षित करने के लिए अलग से किसी व्यवस्था की जरूरत नहीं होगी।
~500 शुल्क होगा सत्यापित प्रति का
~300 खर्च होगा दस्तावेज डाउनलोड करने पर