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भोपाल….
नर्सिंग कॉलेजों के खिलाफ सीबीआई जांच शुरू होने के बाद नए सत्र में एडमिशन देने के लिए कुछ कॉलेजों ने न केवल अपने नाम बदल लिए हैं, बल्कि कॉलेज भी दूसरी जगह शिफ्ट भी कर लिए हैं। भोपाल के मेयो नर्सिंग कॉलेज ने नाम बदलकर मान नर्सिंग कॉलेज कर लिया है और यहां 2023-24 के लिए बीएससी नर्सिंग की 50 व एमएमसी नर्सिंग की 25 सीटों के लिए दाखिले लिए जा रहे हैं। इधर, रातीबड़ के अखिल भारती नर्सिंग कॉलेज ने करोंद में गुरुकुल नाम से नया कॉलेज खोल लिया है।
ग्वालियर के वीआईपीएस और सतना के महात्मा गांधी कॉलेज सहित 8 नर्सिंग कॉलेजों ने जांच के डर से खुद ही 2022-23 और 2023-24 की मान्यता सरेंडर कर दी है। इधर, सीबीआई जांच में सामने आ चुका है कि प्रदेश के 800 नर्सिंग कॉलेजों की कुल 14 हजार में से 3 हजार फैकल्टी बाहरी राज्यों की हैं। ये फैकल्टी प्रदेश के कॉलेजों में सिर्फ ऑनपेपर रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 600 फैकल्टी के माइग्रेशन या रजिस्ट्रेशन नंबर बदलकर एक से ज्यादा बार इस्तेमाल किए गए हैं।
जीरो ईयर में दो विकल्प के साथ दाखिले दे रहे कॉलेज
1. सत्र 2023-24 के नाम पर तैयार हो रही दाखिले की फाइल में कॉलेजों की ओर से पहला ऑप्शन यह दिया जा रहा है कि वर्ष 2021-22 की खाली सीटों पर उन्हें एडजस्ट करके परीक्षा दिला दी जाएगी।
2. दूसरा विकल्प है कि 23-24 जीरो ईयर ही रहा तो अगले सत्र में इसी फीस के साथ दाखिला दे देंगे।
प्रलोभन… बैक डेट में दाखिला, 4 साल की डिग्री 2 साल में
स्टिंग में सामने आया कि सीबीआई जांच के बावजूद कुछ नर्सिंग कॉलेज बैक डेट में एडमिशन देने को तैयार हैं। इसके लिए बाकायदा वाट्सएप और सोशल मीडिया पर प्रचार किया जा रहा है। नर्सिंग कॉलेज के एजेंट ने बातचीत में बताया कि 4 साल से परीक्षा नहीं हुई है। पोर्टल भी बंद है। जैसे ही पोर्टल खुलेगा- आपका नाम वर्ष 2021-22 में जोड़कर परीक्षा करा देंगे। इससे दो साल बच जाएंगे और डिग्री पूरी हो जाएगी। हालांकि कुछ कॉलेज 2023-24 को जीरो ईयर घोषित होने की संभावना के बीच भी कॉलेज में एडमिशन कर रहे हैं।
यह है मामला… कॉलेजों के पास न फैकल्टी, न अस्पताल
कोरोनाकाल (2020-21) में अफसरों की मिलीभगत से नियमों को पूरा न करने वाले कॉलेजों को भी मान्यता दे दी गई थी। इन कॉलेजों के पास न पर्याप्त जमीन थी, न ही अस्पताल। एक ही फैकल्टी कई कॉलेजों में रजिस्टर्ड थीं। अब इसकी जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई ने कोर्ट से कॉलेजों की जांच के लिए तीन माह का समय मांगा था। जनवरी में यह समय पूरा होने को है। जांच पूरी होने तक न तो परीक्षाएं होंगी, न ही परीक्षाओं के रिजल्ट जारी किए जा सकेंगे। इसलिए अब जांच जल्दी कर 4 साल की परीक्षाएं एक साथ कराने की तैयारी चल रही है।
कॉलेज इस तरह अपना नाम नहीं बदल सकते…
सत्र 2022-23 तक की अनुमति जिन कॉलेजों को काउंसिल दे चुकी है, वे अपना नाम नहीं बदल सकते हैं। नाम बदलने पर कॉलेजों को नए सिरे से ही मान्यता लेनी होगी और नए कॉलेज के तौर पर रजिस्ट्रेशन भी कराना होगा। ऐसे 8 मामले आए हैं जिसमें कॉलेज खुद अपनी मान्यता यह कहते हुए सरेंडर कर रहे हैं कि उनके पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है। मान्यता रिन्यू कराने के केस में क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम जांच कर हमें मान्यता के लिए रिकमेंड करेगी। वहीं हर कॉलेज की जियो टैगिंग कराई जाएगी। मेयो कॉलेज को भी नए सिरे से मान्यता लेनी होगी। -पुष्पराज सिंह बघेल, मेडिकल यूनिवर्सिटी, जबलपुर