न्यूज़ सुनें....
|
- रायपुर….
पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन का उपवास लिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था, जिसके बाद उन्होंने प्राण त्याग दिए।
उनके शरीर त्यागने की खबर मिलने के बाद जैन समाज के लोगों का डोंगरगढ़ में जुटना शुरू हो गया है। आज दोपहर 1 बजे उनकी अंतिम संस्कार विधि होगी।
पिछले साल 5 नवंबर को पीएम मोदी ने डोंगरगढ़ पहुंचकर मुनि श्री का आशीर्वाद लिया था। तब उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था कि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी का आशीर्वाद पाकर धन्य महसूस कर रहा हूं।
समय सागर जी महाराज को बनाया उत्तराधिकारी
इससे पहले 6 फरवरी को दोपहर निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागर जी से चर्चा करते हुए संघ संबंधी कार्यों से निवृत्ति ले ली थी और उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने आचार्य पद के योग्य प्रथम मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री समय सागर जी महाराज को योग्य समझा और तभी उन्हें आचार्य पद देने की घोषणा कर दी थी।
अब तक 505 मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक को दीक्षा दी
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 में शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज देश के ऐसे अकेले आचार्य थे, जिन्होंने अब तक 505 मुनि, आर्यिका, ऐलक, क्षुल्लक दीक्षा दी।
आचार्य श्री कुन्थु सागर महाराज का नाम दूसरे नंबर पर आता है, उन्होंने अब तक 325 दीक्षा दी हैं। दमोह के कुंडलपुर में चल रहे महोत्सव में आचार्य श्री अब एक साथ 500 से ज्यादा दीक्षा देने जा रहे हैं। वर्तमान में आचार्य श्री का ससंघ देश का सबसे बड़ा ससंघ है। जिसमें 300 से ज्यादा मुनि श्री और आर्यिका हैं। आचार्य श्री के विहार के बीच भी सबसे ज्यादा ससंघ उनके साथ होता है।
8 मार्च 1980 को पहली दीक्षा समय सागर की
आचार्य श्री ने पहली दीक्षा छतरपुर जिले के दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र द्रोणगिरी में 8 मार्च 1980 को मुनि श्री समय सागर महाराज को दी। दूसरी दीक्षा सागर जिले के मोराजी भवन में 15 अप्रैल 1980 को दी। जिसमें मुनि श्री योग सागर और मुनि श्री नियम सागर महाराज दीक्षित हुए।
छतरपुर के नैनागिरी सिद्ध क्षेत्र में मुनिश्री क्षमा सागर, मुनिश्री संयम सागर और मुनिश्री सुधा सागर को 20 अगस्त 1982 को दीक्षा दी। दीक्षा लेने वालों में आचार्य श्री के गृहस्थ जीवन के भाई मुनि श्री समय सागर और मुनि श्री योग सागर हैं। आचार्य श्री की गृहस्थ जीवन की दो बहनें शांता और सुवर्णा दीदी भी दीक्षा ले चुकी हैं।
चार साल से नहीं हुई दीक्षा
आचार्य श्री द्वारा पिछले चार साल से दीक्षा नहीं दी गई। आखिरी बार उत्तरप्रदेश के ललितपुर में 28 नवंबर 2018 को दीक्षांत समारोह हुआ। इसमें 10 को मुनि दीक्षा दी।
गुरु ने आचार्य पद दिया, फिर उन्हीं के मार्गदर्शन में संल्लेखना की
विद्यासागर महाराज को आचार्य पद की दीक्षा आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज ने 22 नवंबर 1972 को अजमेर राजस्थान के नसीराबाद में दी थी। इसके बाद आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने आचार्य श्री के मार्गदर्शन में ही 1 जून 1973 को संल्लेखना लेकर समाधि ली थी।
ऐसा पहली बार हुआ था, जब एक गुरु ने पहले शिष्य को दीक्षित किया और फिर उन्हीं के मार्गदर्शन में संल्लेखना पूर्वक समाधि मृत्यु ली।