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परीक्षा में पास होने पर ही मिलेगा लाभ नहीं तो अपात्र…
लॉ स्टूडेंट्स एसो. ने नर्सिंग कालेज मान्यता के लिए बनाए नये नियमों को चुनौती देने याचिका संशोधित करने की अनुमति भी मांगी…
नर्सिग फर्जीवाड़े को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सोमवार को अहम सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन की जनहित याचिका पर 11 मार्च को हुई सुनवाई में आज फिर हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस अचल कुमार पालीवाल की विशेष युगल पीठ ने बड़ा आदेश दिया है। पूर्व में हाईकोर्ट के आदेश पर हुई सीबीआई जांच के फलस्वरूप जिन 74 एवं 66 नर्सिंग कॉलेजों को डेफिशिएंट और अनसूटेबल पाया गया था उनके छात्रों को भी परीक्षा में बैठाने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए हैं हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद प्रदेश में चार वर्ष से इंतजार कर रहे हैं सभी नर्सिंग छात्रों की परीक्षाओं के रास्ते खुल गए हैं चूँकि हाईकोर्ट के पूर्व आदेश पर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी ने सीबीआई जांच में सुटेबल पाए गए 167 नर्सिंग कॉलेजों की परीक्षाओं के लिए टाइम टेबल जारी कर दिया था, उसी समय से ये कयास लगाए जा रहे थे की शेष बचे हुए बच्चों का क्या भविष्य होगा ? हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा हैं परीक्षा में बैठने की सशर्त अनुमति दी जा रही है जिसमें की जो छात्र कॉलेजों में अध्ययन किये है या उन्होंने प्रशिक्षण लिया है अगर वो परीक्षा में पास होते हैं तो ही उन्हें आगे के लाभ मिलेंगे अन्यथा की स्थिति में छात्र अपात्र हो जाएंगे।
हाईकोर्ट ने अपने पूर्व आदेश में सीबीआई जाँच में अनसुटेबल पाये गये कॉलेजों के छात्रों को भी अपात्र घोषित किया था हाईकोर्ट ने अपने उस आदेश में संशोधन करते हुए नवीन निर्देश जारी किए हैं कुछ छात्र छात्राओं एवं कॉलेजों की ओर से आवेदन पेश कर कोर्ट से माँग की गई थी कि छात्रों के भविष्य को देखते हुए और कोरोना काल में नर्सिंग छात्रों द्वारा दी गई सेवाओं को ध्यान में रखते हुए सभी छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित किया जाये ।
सत्र 2023-24 की गेंद सरकार के पाले में
हाईकोर्ट ने प्राइवेट कॉलेजों की ओर से प्रस्तुत आवेदन जिसमें सत्र 2023-24 की प्रवेश एवं मान्यता प्रक्रिया करने के निर्देश चाहे गये थे उक्त आवेदन पर निर्णय करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि चूँकि मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर द्वारा सत्र 2023-24 को शून्य घोषित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है जो की अभी लंबित है अत: हाईकोर्ट ने इस प्रकार सत्र 2023-24 की प्रवेश प्रक्रिया एवं मान्यता प्रक्रिया के संबंध में निर्णय हेतु गेंद सरकार के पाले में भेज दी है।
याचिकाकर्ता ने नये नियमों को चुनौती देने संशोधित करने की माँगी अनुमति
लॉ स्टूडेंट्स एसो. ने एक आवेदन पेश कर हाईकोर्ट को बताया था कि मध्यप्रदेश सरकार ने नर्सिंग शिक्षण संस्था मान्यता नियमों में बड़ा फेरबदल करते हुए नये नियम बना दिए हैं जो कि आईएनसी के मापदंडों को भी पूर्ति नहीं करते हैं, ये नियम अपात्र कॉलेजों को लाभ पहुँचाने हेतु बनाये गये हैं, इस तर्क के आधार पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका संशोधित करने की अनुमति दे दी है ।
डिफ़िसिएंट कॉलेजों की जाँच के लिए बनी समिति को निर्देश
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि डिफिसिएंट कॉलेजों के छात्र भी अभी परीक्षा में सम्मिलित होंगे इस दौरान कमेटी उन कॉलेजों की कमियों की पूर्ति के संबंध में विचार कर यह निर्णय लेगी की उक्त कॉलेज आगामी मान्यता और सम्बद्धता हेतु पात्रता रखते हैं अथवा नहीं?
सीबीआई का आवेदन निरस्त
सीबीआई ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश कर मध्यप्रदेश शासन से जाँच हेतु स्टाफ़ अटैचमेंट के स्थान पर प्रतिनियुक्ति पर देने की प्रार्थना की थी, हाईकोर्ट ने राज्य शासन के कर्मियों को प्रतिनियुक्ति पर सी.बी.आई. को सौंपने में आने वाली तकनीकी कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए आवेदन ख़ारिज कर दिया है ।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता लॉ स्टूडेंट्स एसोसियेशन की ओर से अधिवक्ता आलोक वागरेचा ने पैरवी की वही राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह और अतिरिक्त महाधिवक्ता भारत सिंह ,नर्सिंग काउंसिल और मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की ओर से अभिजीत अवस्थी, प्राइवेट कॉलेजों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ, हेमंत श्रीवास्तव एवं रीवा एवं जबलपुर के शासकीय नर्सिंग कॉलेजों की ओर से कपिल दुग्गल ने पैरवी की ।