न्यूज़ सुनें....
|
इंदौर….
सात महीने पहले जारी हुए एमपीएससी परीक्षा 2020 के रिजल्ट में सिम्मी यादव की मध्य प्रदेश में तीसरी रैंक थी। चार साल बाद MPPSC-2019 का रिजल्ट जारी हुआ तो सिम्मी यादव की 14वीं रैंक आई है। दीक्षा के पिता राजू भगोरे टोल बैरियर पर कर्मचारी हैं। उन्होंने कई बार नौकरियां बदलीं और छोटी-छोटी नौकरियों की बदौलत ही अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई करवाई।
माता-पिता को कड़ी मेहनत करते देखकर दीक्षा भगोरे ने पीएसी सेलेक्ट होने के लिए दिन-रात एक कर दिया। पिता को पूरी उम्मीद थी कि एक ना एक दिन दीक्षा जरूर कलेक्टर बनेगी और उसने उनकी उम्मीद को पूरा कर दिया।
मेहनत करने में नहीं छोड़ी कोई कसर
दीक्षा की मां भगवती बताती हैं कि बेटी की पढ़ाई लिखाई के कारण हमने उससे घर का कोई काम नहीं कराया। शुरू से ही उम्मीद थी कि पढ़ाई में होनहार दीक्षा जरूर पीएससी में सिलेक्ट होगी। इसके लिए घर में एक-एक पैसा जोड़ा और जहां तहां से पैसे की व्यवस्था करके कोचिंग की फीस भरी। इंदौर में पढ़ाई के लिए 5 साल तक किराए के कमरे में भी रहे लेकिन ना तो हमने हार मानी ना ही दीक्षा ने।
सरकारी स्कूल से पढ़ी दीक्षा भी बनी अधिकारी
इंदौर के शिप्रा में रहने वाली दीक्षा भगोरे बताती हैं कि मेरी स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूल से हुई है। इसके बाद मेडिकल फील्ड से बी फार्मा और एम फार्मा किया लेकिन अफसर बनने का सपना था। इसलिए मेडिकल फील्ड को छोड़कर सिर्फ एमपीपीएसी में फोकस किया।
दीक्षा को टीचर्स ने किया मोटिवेट
मेरी सफलता का श्रेय मेरे पेरेंट्स को जाता है। मेरे दोस्त और टीचर्स ने भी मुझे मोटिवेट किया है। मैंने पढ़ाई के दौरान कभी निगेटिव नहीं सोची। लक्ष्य तय किया तो उसे पाने के लिए पीछे नहीं हटी। मैं युवाओं से यह कहना चाहूंगी कि कोशिश करें सफलता जरूर मिलेगी।
शादी के बाद सिम्मी के पति ने किया मोटिवेट
सिम्मी कहती हैं कि बचपन से मेरा सपना था कि मैं एमपीपीएससी क्लियर करू, लेकिन 2016 में मेरी शादी हो गई। तब मैं टूट गई कि अब मेरा सपना कैसे पूरा होगा। फिर पति को जब इसकी जानकारी लगी तो उन्होंने मुझे मोटिवेट किया। फिर क्या था मैंने भी ठान लिया और परिवार के साथ सपने को पूरा करने के लिए जुट गई”।
बचपन से ही तय था कि अफसर बनूंगी। डिप्टी कलेक्टर बनने का जुनून था। पूछा जाता कि बड़ी होकर क्या बनोगी। कहती थी ‘डिप्टी कलेक्टर’। तब पता भी नहीं था पद क्या है, लेकिन जानती थी कि खूब पढ़ाई करना पड़ेगी। परीक्षा में सफल होने के लिए नींद त्यागी, मोबाइल से दूरी बना ली। सोशल मीडिया छोड़ दिया। दिन में परिवार की जिम्मेदारी पूरी करती और रात में पढ़ाई करती।
सेल्फ स्टडी पर ही फोकस किया। इस दौरान जब भी मन विचलित हुआ तो भजन सुने और पहले प्रयास में ही मुख्य परीक्षा पास कर ली। शुक्रवार को इंटरव्यू का परिणाम आया, इसमें सफलता हाथ आई। अब पूरा परिवार खुश है।
गृहस्थी के साथ पढ़ाई करना सबसे बड़ा चैलेंज
इंदौर के नरीमन सिटी में रहने वाली सिम्मी यादव ने पहले अटेम्प्ट में ही सफलता हासिल की। लेकिन इस सफलता के पीछे काफी संघर्ष रहा। सिम्मी शादीशुदा हैं, एसे में घर गृहस्थी के साथ पढ़ाई करना उनके सामने बड़ा चैलेंज था। पिता राजेंद्र यादव नगर निगम कर्मचारी के नेता हैं तो उनके पति सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।
पति के सपोर्ट के बिना सब असंभव था
सिम्मी ने बताया कि उन्होंने होलकर कॉलेज से एमएससी किया है। सिम्मी इस सफलता में पूरा श्रेय पति को देती हैं। उन्होंने बताया कि पति साथ नहीं देते तो यह सब असंभव था। क्योंकि उन्होंने ने ही मोटिवेट किया और परिवार और पढ़ाई दोनों में बैलेंस उन्हीं के सपोर्ट से हुआ। वहीं परिवार को भी श्रेय देते हुए कहा कि मां-बाप जन्म नहीं देते और अच्छे संस्कार के साथ पढ़ाते नहीं तो मैं परीक्षा ही कैसे दे पाती।
सफलता का मंत्र बताया
सिम्मी का कहना है कि पहली बार में ही सफलता जरूर हासिल कर ली, लेकिन इसके लिए मैं पहले से तैयार थी। क्योंकि एमपीपीएससी एक मैराथन है। इसके लिए पहले प्री फिर मेंस और बाद में इंटरव्यू क्लियर करना पड़ता है।
प्री तो आप निकाल सकते हो, लेकिन मेंस के लिए आपको कई घंटे मेहनत करना पड़ती है। उसके लिए जरूरी है कि आपके पास शॉर्ट नोट्स हों। परीक्षा के 5 घंटे के लिए तो आपको करीब 14 से 18 घंटे तैयारी करना होती है, तब जाकर मेंस क्लियर होता है।
राज्य सेवा परीक्षा- 2020 के रिजल्ट के मुताबिक डिप्टी कलेक्टर की जिम्मेदारी संभालने ही वाली थी कि एक साल पहले का रिजल्ट आ गया। अब एक साल की सीनियरिटी का फायदा मिलेगा। हालांकि सिम्मी का कहना है कि आईएएस बनना है, तैयारी जारी है।