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रीवा….
सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम अपने आप में सशक्त कानून है। इसमें कई ऐसे अधिकार दिए गए हैं जिससे व्यक्ति किसी विभागीय कार्यालय से पूरे अधिकार के साथ जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें यदि कोई लोक सूचना अधिकारी या फिर अपीलीय अधिकारी जानकारी देने से इनकार करे अथवा भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराए तो उसके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराए जाने का भी प्रावधान है। इस संबंध में यहां आयोजित वेबीनार पर कई RTI एक्टिविस्टों ने लोगों को अपने अधिकारों के बारे में बताया।
राजस्थान में लंबे समय से काम कर रहे राव धनवीर सिंह ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने कई मामलों में एफआइआर दर्ज कराई है। मामलों की सुनवाई कोर्ट में चल रही है।
एक्टिविस्ट ताराचंद जांगिड़ ने बताया कैसे आइपीसी और सीआरपीसी का उपयोग कर पीआइओ के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराया जा सकता है। उन्होंने वेबीनार में ही पॉवर प्रजेंटेशन दिया। लोक सूचना अधिकारी द्वारा कोई जवाब नहीं देना
धारा-7(2) आरटीआई एक्ट का उल्लंघन है। धारा-7(8) का उल्लंघन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 166ए और 167 के तहत एफ आइआर होगी।
लोक सूचना अधिकारी द्वारा झूठी जानकारी देना जिसका प्रमाण आवेदक के पास मौजूद है उस स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 166ए, 167, 420, 468 और 471 के तहत एफआइआर दर्ज होगी। प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा निर्णयर्ण नहीं किए जाने की स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 166ए, 188 के तहत एफ आइआर दर्ज कराई जा सकती है। प्रथम अपीलीय अधिकारी के समक्ष लोक सूचना अधिकारी द्वारा सुनवाई के बाद सम्यक सूचना के बाद भी गैरहाजिर रहने की स्थिति में भारतीय दंड संहिता की धारा 175, 176, 188, और 420 के तहत एफआइआर दर्ज करवाई जा सकती है। आवेदकों को धमकाने पर भी थाने में एफआइआर कराई जा सकती है।
इस कार्यक्रम में पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त शैलेष गांधी, राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह, पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप, एक्टिविस्ट ताराचंद जांगिड़, वीरेश बेल्लूर, भास्कर प्रभु, भुनित्यानंद मिश्रा, शिवानंद द्विवेदी सहित अन्य ने भी अपनी बातें रखी।