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आगरा….
तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु रामभद्राचार्य ने हनुमान चालीसा की चौपाइयों में 4 गलतियां बताई हैं। उन्होंने कहा कि टंकण (पब्लिशिंग) की इन अशुद्धियों को तुरंत ठीक किया जाना चाहिए। इस वजह से लोग गलत शब्दों का उच्चारण करते हैं।
जगदगुरु ने इसके साथ ही रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की मांग की। बुधवार को आगरा में श्रीराम कथा सुनाने के दौरान जगदगुरु ने ये बातें कहीं।
जगदगुरु ने हनुमान चालीसा की इन 4 गलतियों का जिक्र किया…
- हनुमान चालीसा की एक चौपाई में हम पढ़ते हैं- शंकर सुवन केसरी नंदन। इसमें त्रुटि है। इसकी जगह शंकर स्वयं केसरी नंदन होना चाहिए। इसका कारण यह है कि हनुमान जी शंकर जी के पुत्र नहीं, बल्कि स्वयं उनका ही रूप हैं।
- हनुमान चालीसा की 27वीं चौपाई में लिखा है- सब पर राम तपस्वी राजा। इसमें तपस्वी शब्द में त्रुटि है, सही शब्द है- सब पर रामराज सिर ताजा।
- 32वीं चौपाई में लिखा है- ‘राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा।’ सही चौपाई है ‘राम रसायन तुम्हरे पासा, सादर हो रघुपति के दासा’।
- चालीसा की 38वीं चौपाई में ‘जो सत बार पाठ कर कोई’ लिखा है। इसमें सही शब्द है, ‘यह सत बार पाठ कर जोही’।
रामचरितमानस को मिले राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा
जगदगुरु रामभद्राचार्य ने कहा- रामचरितमानस तमाम समस्याओं का एक समाधान है। हमारा प्रयास है कि रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिया जाए। अखंड भारत की संकल्पना जल्द सिद्ध होगी। पाक अधिकृत कश्मीर भी जल्द ही भारत में शामिल हो जाएगा। देश के युवा प्रतिभावान और सशक्त हैं, जो देश को फिर से विश्वगुरु बनाएंगे।राम जन्मभूमि हिंदुओं की थी और हिंदुओं की रहेगी। रामत्व पूरे विश्व पर छा गया है और अब बिना राम के कुछ नहीं। रामचरितमानस ऐसा ग्रंथ है जिससे सारे ग्रंथों का अर्थ समझ में आ जाएगा। भारत के जन-जन में रामचरितमानस बसा है।
22 भाषाओं के जानकर, 2015 में मिला पद्मविभूषण
जगदगुरु रामभद्राचार्य का वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में हुआ। वे रामानन्द सम्प्रदाय के 4 जगदगुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं। इस पद पर साल 1988 से हैं। बताया जाता है कि 2 माह की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी।रामभद्राचार्य 22 भाषाओं के जानकार हैं। अब तक 80 पुस्तकों और ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। वे सुनकर सीखते हैं और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं। चित्रकूट स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ के संस्थापक हैं। साल 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था। सिर्फ यही नहीं, रामभद्राचार्य ने ही सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद पुराण के संदर्भ के साथ गवाही दी थी।
रामभद्राचार्य के कुछ और बयान…
- 2024 में मोदी फिर बनेंगे प्रधानमंत्री: एक दिन पहले ही रामभद्राचार्य ने कहा था- मोदी सरकार ने भारत को पांचवी अर्थव्यवस्था बना दिया। 2024 में फिर मोदी जी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे और संसद में रामचरितमानस का बिल लाकर राष्ट्रीय ग्रंथ बनाएंगे।
- भोजपाल नाम नहीं हो जाता, तब तक भोपाल नहीं आऊंगा: करीब दो महीने जगदगुरु रामभद्राचार्य ने भोपाल में रामकथा की थी। इस दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने उन्होंने भोपाल का नाम भोजपाल करने की बात कही थी। वहां एक दिन पहले उन्होंने कथा सुनाने के दौरान कहा था- भोजपाल नाम नहीं हो जाता, तब तक भोपाल नहीं आऊंगा।