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खरगोन….
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 14 दिसंबर को खरगोन में हुई सभा में कहा था कि भ्रष्टाचार करने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। प्रदेश में भ्रष्टाचार और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस परिप्रेक्ष्य में कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम के निर्देशानुसार एसडीएम खरगोन ओमनारायण सिंह ने पटवारी विनोद बर्वे की जांच की।
जांच के बाद शासकीय योजनाओं में लापरवाही और विभिन्न प्रकरणों के प्रभावितों द्वारा की गई शिकायतों की जांच के बाद एसडीएम ने निलंबन की कार्रवाई की है। खरगोन तहसील के पटवारी हल्का नम्बर 02 दसंगा के पटवारी पर राणापुर के रमेश सुभान से भूमि की रजिस्ट्री व नामांतरण के एवज में 1 लाख 60 हजार रुपए लेने की शिकायत की थी।
इसके अलावा दसंगा के सुदेश गोविंद से बंटवारे के लिए 32 हजार और जयराम झापडु व अन्य से भूमि के बंटवारे के लिए 60 हजार रुपए लेने की शिकायत कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को मिली थी। शिकायत के आधार पर खरगोन तहसीलदार योगेंद्र मौर्य ने एसडीएम खरगोन को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की।
तहसीलदार द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में बताया गया कि पटवारी बर्वे पर लगाए गए सभी आरोप प्रमाणित पाये गए हैं। जांच अधिकारी द्वारा पटवारी को बचाव पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कई अवसर प्रदान किए लेकिन उन्होंने अपने पक्ष में कोई प्रति उत्तर नहीं किया।
पटवारी ने नोटरी में इकरारनामा शिकायतकर्ता को लिखा
एसडीएम सिंह द्वारा जारी आदेशानुसार पटवारी बर्वे ने नोटरी में इकरनामा शिकायतकर्ता रमेश को लिखकर दिया। जिसमें ली गई राशि 1 लाख 60 हजार रुपये रजिस्ट्री नहीं होने पर वापस कर दूंगा। लेकिन बर्वे द्वारा शिकायतकर्ता को न तो राशि वापस की गई और न ही भूमि की रजिस्ट्री करवाई।
शासकीय कार्यों में भी की लापरवाही
तहसीलदार खरगोन द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में बताया गया कि रबी फसल गिरदावरी, लघु सिंचाई संगणना, स्वामित्व योजना अंर्तगत आबादी सर्वे में मान्यादड़ व बगवाँ की आरओआर इंट्री पूर्ण नहीं की गई। इसके अलावा रिकॉर्ड शुद्धिकरण एवं डेटा परिमार्जन के कार्य शत प्रतिशत न कर लापरवाही करना पाया गया। मप्र सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम के नियम 10 (9) एवं नियम 19 तथा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2) के अंतर्गत श्री विनोद बर्वे को सस्पेंड किया है।