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भोपाल/उज्जैन….
उज्जैन के महाकाल लोक में तेज आंधी के कारण गिरी मूर्तियों के बाद राजनीति तेज हो गई है। आंधी से उखड़ी सप्त ऋषियों की मूर्तियों को रिपेयर नहीं किया जाएगा। यानी खंडित मूर्तियां नहीं लगाई जाएंगी। इसकी जगह सप्त ऋषियों की नई मूर्तियां लगाई जाएंगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके निर्देश भी दिए हैं। दूसरी तरफ महाकाल लोक में मूर्तियों को रिपेयर करने का काम भी चल रहा है। वहीं, कांग्रेस के सात सदस्यीय जांच दल ने मूर्ति लगाने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
बता दें कि रविवार को उज्जैन में तेज आंधी के कारण महाकाल लोक परिसर में लगी सप्त ऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां गिर गई थीं। कुछ मूर्तियां खंडित भी हो गई थीं। इसके बाद पीसीसी चीफ कमलनाथ ने जांच के लिए सात सदस्यीय कमेटी बनाई थी।
कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेश के मुताबिक सभी 6 मूर्तियों को नया इंस्टॉल किया जाएगा। इसका खर्च भी कंपनी ही वहन करेगी। इसे दो महीने का वक्त लगेगा।
कांग्रेस का आरोप- चायनीज मटेरियल से बनी मूर्तियां
कांग्रेस का जांच दल विशेषज्ञ के तौर पर मूर्तिकारों और तकनीकी एक्सपर्ट्स को अपने साथ महाकाल लोक ले गए थे। जांच के बाद बुधवार को भोपाल में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और शोभा ओझा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वर्मा ने बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि इन मूर्तियों को बनाने में घटिया चायनीज शीट का इस्तेमाल किया गया है।
जल्दबाजी में किया गया उद्घाटन
पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि 11 अक्टूबर 2022 को आनन-फानन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकाल लोक का उद्घाटन किया। घोषणा की थी कि ये मूर्तियां न कभी गिरेंगी और न ही कभी बदरंग होंगी। इस दावे को चुनौती देते हुए ठीक एक महीने बाद 24 नवम्बर 2022 को स्मार्ट सिटी प्रशासन ने पीयू कलर्स वेदरकोट प्राइमर आदि का 96 लाख रुपए का टेंडर निकाला, जबकि ये मूर्तियां तीन साल के वारंटी पीरियड में थीं।
निविदा शर्त के अनुसार मूर्तियों के बदरंग होने की वजह मूर्तियों की घिसाई न होना, प्राइमर और वेदरप्रूफ पीयू रंग का पर्याप्त इस्तेमाल न होना है। अब सवाल यह है कि 24 नवम्बर 2022 के टेंडर के माध्यम से खरीदी गई सामग्री कहां गई? उसका उपयोग क्यों और किसलिए नहीं हुआ? क्या उक्त टेंडर के माध्यम से कागजी खरीदी की गई? यह जांच का विषय है।
एक तरह की मूर्तियों के रेट में अंतर
पूर्व मंत्री ने कहा- उज्जैन में ही एक ही तरह की, एक ही ठेकेदार द्वारा लगाई गई मूर्तियों के निर्माण की लागत में बड़ा अंतर सामने आया है। उज्जैन मे सिंधी समाज द्वारा 25 फीट ऊंची मूर्ति का निर्माण 4 लाख 11 हजार रुपए में करवाया गया, जबकि महाकाल लोक में 15 फीट ऊंची प्रतिमा का भुगतान 10 लाख 2 हजार रुपए किया गया। मानकों के अनुसार 15 फीट ऊंची प्रतिमा की कीमत अधिकतम 3 लाख रुपए हो सकती थी।
मूर्तियों की चल रही रिपेयरिंग
दूसरी तरफ महाकाल लोक में मूर्तियों की रिपेयरिंग का काम तेजी से चल रहा है। इस बार मूर्तियों की मजबूती के लिए अंदर लोहे की रॉड और आधार में चार लोहे की रॉड लगाकर मजबूती दी गई है। मूर्तियों के गिरने के तत्काल बाद सभी मूर्तियों को महाकाल लोक की पार्किंग में बन रहे भक्त निवास के सामने रिपेयरिंग के लिए रखा है। यहां बिहार से आए एक दर्जन से अधिक कारीगर 18 घंटे तक काम कर रहे हैं। वहीं, मूर्तियों पर नए सिरे से रंग रोगन के चार कारीगर भी पहुंचे हैं।
लोहे की रॉड से दी मजबूती
बिहार से आए कारीगर अमित सोनी ने बताया कि सोमवार शाम से काम कर रहे हैं। अगले 24 घंटे में कार्य पूरा हो जाएगा। मूर्तियों में मजबूती देने के लिए बेस पर चार लोहे की रॉड लगाई गई। साथ ही, एक लोहे की रॉड मूर्ति के अंदर लगाई है, जो कि ऊपर तक जा रही है, जिससे मूर्तियों में मजबूती बनी रहेगी। फिलहाल, मूर्तियों को कलर करने से पहले का कार्य किया जा रहा है। पानी के टैंकर मंगवाए गए हैं।