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भोपाल….
मध्यप्रदेश में मानसून का इंतजार खत्म हुआ। मानसून की एंट्री गुरुवार को खंडवा-बैतूल के रास्ते हो चुकी है। इसी के साथ भोपाल, इंदौर और उज्जैन में छा गए। शाम तक कई जिलों में मानसून की पहली बारिश होगी। मानसून आते ही बैतूल, भिंड में डेढ़-डेढ़ इंच, मंदसौर और खंडवा में एक-एक इंच, ग्वालियर, दतिया, सीहोर व विदिशा में आधा-आधा इंच बारिश हुई। शिवपुरी, नर्मदापुरम, रायसेन और पचमढ़ी में भी बारिश हुई। पचमढ़ी में करीब 1 इंच बारिश हुई। भोपाल और दिन में अगले 72 घंटे में मानसून की एंट्री हो सकती है।
बुधवार तक मानसून के पहले की बौछारें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के कुछ इलाकों में पड़ने लगी थीं। गुरुवार को ये मध्यप्रदेश के महाकौशल-विंध्याचल के साथ ही छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार में और ज्यादा सक्रिय हो गईं। कई इलाकों में गुरुवार सुबह से ही घने बादल छाने लगे थे। मौसम विभाग ने बताया कि अभी अरब से आना वाला मानसून बैतूल और खंडवा में ही सक्रिय है। यह शुक्रवार को आगे बढ़ सकता है। इसके 48 घंटे के अंदर यह इंदौर में पहुंच सकता है। भोपाल में मानसून की एंट्री 20 जून के आसपास हो सकती है। बंगाल की खाड़ी से जबलपुर के रास्ते मानसून की एंट्री शुक्रवार को सकती है।
मानसून की एंट्री कैसे मानी जाती है
मानसून की एंट्री के लिए लगातार तीन दिन तक अधिकांश हिस्सों में बारिश होना जरूरी है। इसके साथ ही हवाएं दक्षिणी पूर्वी और दक्षिण पश्चिमी होना जरूरी है। इन दोनों परिस्थितियों के होने पर ही मानसून की एंट्री मानी जाती है। इंदौर संभाग में दो दिन बारिश हुई, लेकिन फिर ब्रेक हो गया है। इस कारण मानसून महाराष्ट्र-एमपी की बॉर्डर पर अटक गया। वर्ष 2019 में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से संयुक्त रूप से मानसून आया था।
MP में अरब से हुई मानसून की एंट्री
मध्यप्रदेश में मानसून अरब की खाड़ी से आया है। अरब सागर का मानसून पाकिस्तान की हवाओं के कारण महाराष्ट्र से आगे नहीं बढ़ पाया था। गुरुवार को बैतूल और खंडवा के अधिकांश इलाकों में लगातार तीन दिन तक 2.5 मिमी से ज्यादा बारिश हुई। इधर, बंगाल की खाड़ी से मानसून पूर्वी भारत से हिमालय तक सक्रिय होने लगा है। मंगलवार से जबलपुर संभाग में बारिश शुरू हो गई थी। खंडवा और बैतूल से मानसून की एंट्री हो गई।
मध्यप्रदेश में दोनों तरफ से बारिश
मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से बंगाल की खाड़ी से आने वाले दक्षिण पूर्वी मानसून से बारिश होती है। यह समूचे मध्यप्रदेश में बारिश कराता है, जबकि अरब से आने वाला मानसून सिर्फ मालवा-निमाड़ में बारिश कराता है। क्योंकि जून में अरब में सामान्य तौर पर ज्यादा सिस्टम नहीं बनते हैं, इसलिए बंगाल की खाड़ी से ही ज्यादातर मानसून मध्यप्रदेश में आता है। कभी-कभी अरब सागर से इंदौर के रास्ते एंट्री करता है, लेकिन पूरे मध्यप्रदेश को यह नहीं भिगा पाता है। मध्यप्रदेश में बारिश होने के लिए बंगाल की खाड़ी से मानसून के सक्रिय होना जरूरी है।
अगर एक तरफ से आए मानसून तो…
मध्यप्रदेश में बंगाल की खाड़ी का मानसून सबसे अहम है। आमतौर पर एक तरफ से मानसून की एंट्री के बाद के दो से तीन दिन में दूसरा सिस्टम भी सक्रिय हो जाता है। मध्यप्रदेश में हमेशा दोनों तरफ से ही मानसून आता है। इस बार मध्यप्रदेश में मानसून 28 जून तक सेट हो सकता है।