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भोपाल….
प्रदेश में निजी नर्सिंग कॉलेजों और पैरा मेडिकल संस्थानों की धांधलियों पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ने मौजूदा व्यवस्था में बदलाव किया है। अब इन कॉलेजों और संस्थानों से जुड़े प्राइवेट अस्पतालों में मौजूद बिस्तरों और स्टाफ की संख्या में मनमाने ढंग से बदलाव नहीं किया जा सकेगा।
पोर्टल पर किसी भी तरह का बदलाव या कोई जानकारी अपडेट करते समय जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) के मोबाइल नंबर पर ओटीपी पहुंचेगा। सीएमएचओ पोर्टल पर ओटीपी दर्ज करेंगे, तभी यह जानकारी अपडेट हो सकेगी।
स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के मुताबिक यह बदलाव इसलिए किए गए हैं, क्योंकि कई नर्सिंग कॉलेजों और पैरा मेडिकल संस्थानों में मान्यता लेते समय बिस्तरों और स्टाफ की संख्या कुछ ज्यादा ही दर्ज की जाती है, लेकिन जब मौके पर पहुंचकर जांच की जाती है तो वास्तविक बिस्तरों और स्टाफ की संख्या काफी कम निकलती है।
इंडियन नर्सिंग काउंसिल के मापदंडों को पूरा करने के लिए ये संस्थान फर्जी संख्या दर्ज करा देते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान ने प्रदेश के सभी सीएमएचओ को पत्र लिखकर निजी अस्पतालों की जांच करने के लिए इन निर्देशों का ध्यान रखने को कहा है।
सीएमएचओ ही प्राइवेट अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन के लिए सुपरवाइजिंग अथॉरिटी होते हैं। मप्र नर्सिंग काउंसिल प्राइवेट नर्सिंग कॉलेजों के लिए प्राप्त आवेदनों पर मान्यता देने से पहले उनसे जुड़े अस्पतालों की बिस्तर संख्या की जांच करती है।