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भोपाल/इंदौर….
मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष पद से शोभा ओझा ने इस्तीफा दे दिया। इंदौर में मीडिया से बातचीत में उन्होंने आरोप लगाए कि राज्य सरकार आयोग में काम नहीं करने दे रही है। सवा दो साल से पद है, लेकिन अधिकार छीन लिए गए हैं। ऑफिस में ताले लगा दिए गए। हाईकोर्ट के निर्देशों की अवहेलना की गई। उन्होंने बताया कि महिलाओं के साथ हो रहे दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, हत्या, अत्याचार, अपहरण, महिला तस्करी खरीद-फरोख्त, ब्लैकमेलिंग, मारपीट, दहेज प्रताड़ना, नाबालिग बच्चियों के विरुद्ध अपराध और घरेलू हिंसा के मामलों में मध्यप्रदेश देश के अव्वल राज्यों में शुमार है। अभी महिला आयोग में 17 हजार से ज्यादा केस पेंडिंग हैं।
शोभा ओझा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेजे इस्तीफे में लिखा कि आपकी सरकार ने राज्य महिला आयोग की संवैधानिक रूप से गठित कार्यकारिणी को भंग करने का प्रयास कर उसे न्यायालयीन प्रक्रियाओं में उलझा कर हजारों महिलाओं को न्याय से वंचित करने का अन्यायपूर्ण व अक्षम्य कार्य किया है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्वार्थों की खातिर महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों की बलि चढ़ाने का जो पाप आपकी सरकार ने किया है, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। ओझा ने कहा कि अधिनियम-1995 की धारा-3 के तहत मध्य प्रदेश राज्य महिला आयोग जो महिलाओं के शुभचिंतक, परामर्शदाता, मित्र, शिक्षक तथा श्रोता के रूप में कार्य करने के लिए एक संवैधानिक निकाय के रूप में गठित किया गया था, उसे अधिकार विहीन, शक्तिहीन और पंगु बनाने की आपकी सरकार की कोशिशें “बेटी बचाओ” और “नारी सुरक्षा” जैसे आपके ही नारों के खोखलेपन और वास्तविक मंशा को उजागर कर रहे हैं।
ओझा ने कहा कि इन परिस्थितियों में, मैं महिला आयोग के एक ऐसे असक्त मुखिया की भूमिका में हूं, जिसके सारे अधिकार छीन लिए गए हैं। मैं चाह कर भी महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों के लिए कुछ नहीं कर पा रही हूँ। लिहाजा मैं आयोग के अध्यक्ष पद की संवैधानिक बाध्यताओं को त्याग कर उन्मुक्त और खुले मन से पीड़ित, शोषित और दमित महिलाओं की व्यथा और वेदना को स्वर देने के अपने संघर्ष को अन्य मंचों से जारी रखने का संकल्प और पवित्र उद्देश्य लिए अपने पद से इस्तीफा देना चाहती हूं। उन्होंने अंत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपने पत्र को इस्तीफा मानने के बारे में लिखा।