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खराब लाइफ स्टाइल है खास कारण;
अब युवतियों के लिवर भी बिगड़ने लगे हैं
आज ‘वर्ल्ड लिवर डे’ है। आमजन में यह धारणा है कि लिवर की बीमारियां या लिवर फेल्युअर ज्यादा शराब पीने से होता है जबकि कुछ अन्य कारण भी हैं। लिवर की बीमारी के प्रारंभिक लक्षण क्या हैं, इसके लिए कैसे प्रिवेंट किया जा सकता है सहित कई बिंदुओं पर डॉ. अमित सिंह बरफा (हेपेटोलॉजिस्ट एण्ड लिवर ट्रांसप्लांट फिजिशियन, विशेष ज्युपीटर) से बातचीत की। उन्होंने लिवर की बढ़ती बीमारियों चिंता व्यक्त करने के साथ युवाओं द्वारा अल्कोहल के ज्यादा सेवन से बचने और खराब लाइफ स्टाइल बदलने पर खास जोर दिया है। बकौल डॉ. बरफा लिवर की बीमारियों में सबसे ज्यादा 20 से 40 उम्र के युवा हैं और इसमें भी महिलाओं का प्रतिशत लगभग बराबरी की ओर है।
वर्ल्ड लिवर डे का मकसद क्या है?
19 अप्रैल को ‘वर्ल्ड लिवर डे’ लिवर की बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। वर्ष 2023 की थीम है- सतर्क रहें, लिवर की नियमित जांच कराएं और फैटी लिवर को लेकर अवेयर रहें। अभी स्थिति यह है कि पूरे विश्व में हर साल 20 से 25 लाख लोगों की मौतें लिवर की बीमारी से होती है।
लिवर की बीमारियों का खास कारण क्या हैं?
लिवर की बीमारी के तीन सबसे खास कारण शराब, वायरस और फैटी लीवर हैं। लिवर की बीमारी के अधिकांश कारण यदि पहले ही जान लिए तो उपचार योग्य है।
फैटी लीवर बीमारी क्या होती है?
दरअसल फैटी लिवर अब एपिडेमिक के रूप में है। यह फैटी लिवर देश के 30% लोगों में होता है। 14-15 साल के बच्चों में भी फैटी लिवर का प्रतिशत बढ़ते जा रहा है। समय पर इसका इलाज जरूरी है।
लिवर शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण है?
मेडिकल और एनॉटोमी के लिहाज से यह शरीर का 11वां महत्वपूर्ण ऑर्गन है और इसकी अपनी विशेषता है। यह ऐसा ऑर्गन है जिसका डैमेज समय पर रोका जाए तो वह जल्दी रिजनरेट होकर नॉर्मल हो जाता है। इसकी खासियत यह भी है कि नॉर्मल व्यक्ति के शरीर से 50% भी लिवर निकाल ले तो वह नॉर्मल ही रहता है क्योंकि वह रिजनरेट होता है। रिवर ट्रांसप्लांट का भी यही सिस्टम है।
अभी लिवर की बीमारी लेकर क्या स्थिति है?
– अल्कोहल के कारण लिवर फेल्युअर होने के मामलों में 20 से 40 वर्ष के उम्र के लोग ज्यादा है। इसमें अब महिलाओं की संख्या भी लगभग बराबर है।
क्या सिर्फ अल्कोहल के सेवन के कारण ही लिवर की बीमारी या फेल्युअर होता है?
– कुछ हद तक यह बात सही है। अगर कोई व्यक्ति नियमित ज्यादा शराब का सेवन करता है तो उसके लिए जोखिमभरा है। कभी कभार पीने वाला व्यक्ति अगर एक बार में ज्यादा सेवन कर ले तो भी लिवर प्रभावित होता है। अगर रोज कम शराब पीता है तो वह किस तरीके से सेवन करता है, उस पर निर्भर है। अगर वह प्योर (बिना पानी या अन्य ड्रिंक्स मिलाएं) लेता है तो यह स्थिति लिवर को ज्यादा कमजोर करती है। दूसरा यह कि ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ अल्कोहल के कारण ही लिवर खराब होता है।
और क्या कारण हैं?
– नॉन अल्कोहोलिक फैटी डिसीज या ऐसे लोग जो अल्कोहल नहीं लेते हैं लेकिन उनकी लाइफ स्टाइल खराब है, इनएक्टिविटी है तो भी वे फैटी लिवर के शिकार हो जाते हैं। आमजन का ऐसे में सवाल रहता है कि संबंधित ने तो कभी शराब नहीं पी लेकिन लाइफ स्टाइल खराब होना भी कारण रहता है। डायबिटीज के कारण भी लिवर फेल्युअर होता है।
लिवर की बीमारियों के लक्षण क्या हैं?
– शुरुआती लक्षणों में असहजता, हेपिटाइटिस, कमजोरी आदि हैं। फिर पीलिया होना, खून की उल्टियां होना, पेट में पानी आना, पैरों में सूजन आना ये लिवर की बीमारियों के खास लक्षण हैं।
लिवर की बीमारियों को लेकर इन दिनों किस तरह के पेशेंट आ रहे हैं?
– आमतौर पर ओपीडी में लिवर की बीमारी के करीब 20 मरीज आते हैं। इनमें से 25 से 30% फैटी लिवर के, 4 से 5% हेपिटाइटिस बी, सी, एचआईवी, वायरस संबंधी और 40 से 50% लिवर सिरोसिस के होते हैं।़
लिवर की बीमारियों से कैसे बचें?
दरअसल लिवर खून में जमा होने वाले टॉक्सिन को फिल्टर करने का काम करता है। इसके साथ ही फैट को पचाने में पित्त बनाता है और शरीर को एनर्जी देने के लिए ग्लूकोज़ को स्टोर करता है। जैसा कि बताया है कि फैट बढ़ाने वाले भोज्य पदार्थों का सेवन कम करें या नहीं करें। शुगर के मरीज खास तौर पर ध्यान दें।
- हेपेटाइटिस के इंजेक्शन जरूर लगवाएं।
- पानी भी पर्याप्त मात्रा में पिएं।
- व्यायाम के साथ संतुलित आहार लें।
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