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भोपाल….
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने नर्सिंग कॉलेजों में गड़बड़ी की जांच सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन) से कराने के आदेश दिए थे। सोमवार से सीबीआई ने जांच शुरू भी कर दी है। सीबीआई के अफसर सोमवार को मप्र नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल के दफ्तर पहुंचे। यहां से उन्होंने ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में संचालित 25 नर्सिंग कॉलेजों की संबद्धता और मान्यता से संबंधित दस्तावेज जब्त किए।
सूत्रों ने बताया कि काउंसिल के पास भी इन कॉलेजों का पूरा रिकॉर्ड नहीं है। किसी फाइल में चार तो किसी की फाइल में सिर्फ छह पेज लगे हैं। कई कॉलेजों की फाइल में तो पूरे दस्तावेज ही नहीं हैं। इसकी वजह 2018 तक नर्सिंग कॉलेजों को खोलने के लिए डिजायरेबिलिटी एंड फिजिबिलिटी सर्टिफिकेट डीएमई से लिया जाता था। इसके बाद कॉलेज को मान्यता दी जाती थी। लेकिन, 2018 के बाद से इसकी व्यवस्था खत्म कर दी गई। इसलिए, यदि आपने नया कॉलेज खोला तो मान्यता रिन्यू करने के समय निरीक्षण होता ही नहीं था।.
इसका कोई नियम ही नहीं बनाया गया था। कॉलेज संचालकों को फायदा पहुंचाने के लिए यह व्यवस्था लागू की गई थी। जबलपुर हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेजों की खामियों को उजागर करने वाले लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल ने बताया कि जो गड़बड़ी ग्वालियर और चंबल में हुई है।
वो ही गड़बड़ी प्रदेश के सभी 600 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता देने में अफसरों ने की है। अगली सुनवाई में जबलपुर हाईकोर्ट से ये मांग की जाएगी कि प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में हुई गड़बड़ी का रिकॉर्ड देखकर सीबीआई से मामले की जांच कराई जाए। गड़बड़ी में शामिल अफसरों को जेल भेजा जाए।
वांछनीयता एवं व्यवहार्यता प्रमाण पत्र (desirability feasibility certificate) क्या होता है:
वर्ष 2018 के पहले किसी भी नर्सिंग कॉलेज जब अपनी संस्था खोलने के लिए आवेदन पेश करते थे तो चिकित्सा शिक्षा विभाग मप्र शासन उसका निरीक्षण कराता था। जांच में सही पाए जाने पर प्रमाण पत्र मिलता था। इसी के आधार पर नर्सिंग काउंसिल से मान्यता दी जाती थी।
वर्ष 2018 के नियम के बाद उक्त व्यवस्था को समाप्त करते हुए मप्र नर्सिंग काउंसिल द्वारा स्वयं ही निरीक्षण कराए जाने लगे। मान्यता दी जाने लगी। यहीं सारा फर्जीवाड़ा शुरू हुआ। वर्ष 2022 23 मैं हाई कोर्ट की फटकार के बाद पुनः पुरानी व्यवस्था के अनुसार निरीक्षण कराए जा रहे हैं।
ग्वालियर में हो चुकी है 200 काॅलेजों की जांच
नर्सिंग काउंसिल के अफसरों ने बताया कि मप्र नर्सिंग काउंसिल ने प्रदेश में सत्र 2019-20 में 520 कॉलेजों को संबद्धता दी थी। कोर्ट के आदेश के बाद ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में चल रहे 200 कॉलेजों की जांच हुई थी। जांच में मिली गड़बड़ी के बाद 70 में फर्जीवाड़ा मिला था, इसलिए इनको बंद कर दिया था।
इसके बाद कोर्ट ने दोबारा 35 कॉलेजों की मान्यता की जांच पर सवाल उठाए थे। दोबारा जांच के बाद 35 में से 10 कॉलेज और बंद हो गए थे। इसके बाद शेष बचे 25 कॉलेजों की जांच के दस्तावेज देखने के बाद कोर्ट ने मामला सीबीआई को ट्रांसफर किया था।
फर्जीवाड़े के चलते 3 हजार से ज्यादा छात्रों के भविष्य से खिलवाड़
इस फर्जीवाड़े के चलते इन 25 कॉलेजों में पढ़ रहे बीएससी नर्सिंग और जीएनएम के करीब 3 हजार से ज्यादा छात्रों का भविष्य अधर में लटक सकता है। हालांकि नर्सिंग काउंसिल के अफसरों का कहना है कि बच्चों का भविष्य खराब न हो इसका ध्यान रखा जाएगा। कोर्ट आगे जो आदेश देगा, उसका पालन करेंगे। जो भी दस्तावेज काउंसिल से मांगे गए थे, वे उपलब्ध करा दिए गए।
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