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भोपाल….
सात साल बाद निर्वाचित हुई पंचायतों को अब खुद अपनी आय की भी व्यवस्था करना होगी। बिजली का बिल भी खुद चुकाना होगा। केंद्र और राज्य से मिलने वाले अनुदान का उपयोग अब सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने और सामाजिक काम में इस्तेमाल होगा। राज्य सरकार की तरफ से पंचायतों को गाइडलाइन भेज दी गई है। साथ ही स्पष्ट कर दिया गया है कि आय के संसाधन जुटाने के लिए वे ओपन जिम, मैरिज गार्डन के साथ दुकानें बना सकते हैं।
जिन पंचायतों की आबादी 5000 से अधिक है, वहां मिनी साइंस सेंटर भी खुल सकता है। पांचवें राज्य वित्त आयोग का 1900 करोड़ रुपए की किस्त जारी करने के साथ ही यह गाइडलाइन भी तय हो गई है। पंचायत विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यह व्यवस्था पहले भी थी, लेकिन अन्य कार्यों के रूप में दर्ज थी, लेकिन अब इसे स्पष्ट कर दिया गया है। पंचायतें अब परिसंपत्तियों का भी निर्माण कर सकेंगी।
इन कामों की मनाही
हैंडपंप खनन, नलकूप खनन, पेयजल का परिवहन, ग्रेवल रोड या मुरम डालना, वाहनों का खरीदा जाना, पानी के टैंकर खरीदने आदि के काम पंचायतें नहीं कर पाएंगी।
गांवों में पर्यटन स्थल हैं तो पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था करनी होगी
पंचायतों को पर्यटन से भी जोड़ा जा रहा है। अगर किसी पंचायत में ईको टूरिज्म का कोई स्थान है तो उसके लिए पहुंच मार्ग और बाकी सुविधाएं विकसित की जा सकती हैं। पर्यटकों को शुल्क के साथ ठहराने की व्यवस्था बनाई जा सकती है।
पंचायतें इनसे कमा सकेंगी
- पर्यटन की जगह है तो उसे विकसित करें। शुल्क के साथ ठहराया जाए।
- मैरिज गार्डन बनाना और उसे चलाना।
- सरकारी जमीन पर चौपाल या छोटी दुकानें बनाना।
- हाट बाजार का निर्माण।
- दुकानों के साथ यात्री प्रतीक्षालय बनाना और बस स्टैंड पर दुकानों का निर्माण।
- आरओ वॉटर प्लांट की स्थापना। कम दर पर पानी उपलब्ध कराना।
- नर्सरी और पौध विक्रय केंद्र बनाना।
- ओपन जिम बनाना।
ये सामाजिक काम करना जरूरी
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाइब्रेरी बनाना।
- छात्र-छात्राओं के लिए मिनी साइंस सेंटर का बनवाना, ताकि बेसिक साइंस मजबूत हो।
- सार्वजनिक व चिल्ड्रन पार्क बनाना।
- छायादार स्थान पर बुजुर्गों के लिए चौपाल।
इंफ्रास्ट्रक्चर के ये काम भी होंगे
- सीसी रोड के साथ पक्की नाली।
- सरकारी भवनों की बाउंड्रीवाल।
- गौशाला निर्माण।
- रपटा-पुलिया बनाना।
- एलईडी स्ट्रीट और सौर ऊर्जा लाइट लगाना।
खर्च की सख्त मॉनिटरिंग
पंचायत दर्पण पोर्टल के माध्यम से ही राशि खर्च की जा सकेगी। कार्य मंजूरी अपलोड करनी होगी। काम शुरू होने से लेकर खत्म होने तक की जानकारी देनी होगी। हर खर्च का बिल देना होगा। राशि के दुरुपयोग का पता चलने पर कानूनी कार्रवाई होगी।