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सीहोर/आगर….
नलखेड़ा के बगलामुखी मंदिर को तंत्र मंत्र का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। मान्यता है कि यहां नवरात्र के दिनों में कराई गई पूजा अनुष्ठान और तंत्र मंत्र का सबसे ज्यादा फल मिलता है। इसके लिए मंदिर में 70 हवन कुंड बनाए गए है। जिस पर पंडित अपने यजमानों के लिए तंत्र साधना और पूजा करते हैं।
सलकनपुर : विंध्याचल पर्वत पर विराजित हैं मां विजयासन
सीहोर जिले में विंध्याचल पर्वत की 800 फीट ऊंची चोटी पर बने मंदिर के गर्भगृह में विजयासन माता की स्वयंभू प्रतिमा है। मंदिर परिसर में देवी लक्ष्मी, सरस्वती और भैरव जी का मंदिर भी हैं। रविवार को छुट्टी का दिन और अष्टमी होने से सुबह 3 बजे से ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ से मंदिर परिसर भर गया। SDOP शशांक गुर्जर ने बताया इस बार नवरात्र के पहले दिन, पंचमी और अष्टमी को श्रद्धालुओं की संख्या एक-एक लाख के ऊपर पहुंच गई।
रोजाना साढ़े 21 घंटे हो रहे मां विजयासन के दर्शन
नवरात्रि के 9 दिनों तक मां विजयासन मंदिर के पट तड़के 3 बजे से रात 12.30 बजे तक खुल रहे है। यहां रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ हो रहा। मां की 5 पहर आरती और विशेष श्रृंगार किया जा रहा है। मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महेश उपाध्याय ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में जरूरी व्यवस्था की गई है।
सलकनपुर में महाकाल लोक की तर्ज पर देवी लोक बनाया जा रहा है। इसका काम भी 50 फीसदी पूरा हो गया है। इस कारण इस बार प्राइवेट वाहनों को मंदिर तक पहुंचने पर रोक लगाई गई है। ये प्रतिबंध 15 से 23 अक्टूबर तक है।
मां विजयासन धाम तक पहुंचने के 3 विकल्प
- सीढ़ी: पैदल यात्री 1450 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- सड़क मार्ग: अनुबंधित वाहन से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। इसका प्रति यात्री 60 रुपए किराया निर्धारित है।
- रोप-वे: रोप वे सुबह 5 से रात 10 बजे तक संचालित होता है। इसका 120 रुपए प्रति व्यक्ति किराया है।
तंत्र-मंत्र के लिए प्रसिद्ध है मां बगलामुखी मंदिर
आगर जिले के नलखेड़ा में स्थित मां बगलामुखी मंदिर तंत्र-मंत्र के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में खासकर नवरात्रि में यहां बड़ी संख्या में देश-विदेश से भक्त माता के दर्शन और अनुष्ठान के लिए पहुंच रहे हैं। पंडित राहुल नागर ने बताया कि बगलामुखी मंदिर में माता तीन रूपों में दाएं महालक्ष्मी, बाएं में सरस्वती और बीच में बगलामुखी के रूप में विराजित हैं।
मां बगलामुखी का ये मंदिर लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। मंदिर में तंत्र साधना के साथ मिर्ची यज्ञ और ऐसे अनुष्ठान होते हैं, जो आम मंदिरों में नहीं होते। यहां शत्रु के नाश, चुनाव में जीत और कोर्ट केस के निपटारे के लिए विशेष पूजन होता है। नि:संतान दंपती भी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। यहां आम भक्त ही नहीं, VVIP लोग भी आते हैं। हाल ही में अनिल अंबानी समेत देश के कई जाने माने राजनेता और फिल्मी हस्तियां मां के दरबार में माथा टेक चुकी हैं।
मां बगलामुखी की उपासना से मिलती है शक्ति, धन और विद्या
पुजारी हरिओम गुरु ने बताया कि मां बगलामुखी की उपासना और साधना से माता वैष्णो देवी और मां हरसिद्धि के समान ही साधक को शक्ति के साथ धन और विद्या की प्राप्ति होती है। सोने जैसे पीले रंग वाली, चांदी के जैसे सफेद फूलों की माला धारण करने वाली, चंद्रमा के समान संसार को प्रसन्न करने वाली इस त्रिशक्ति का देवीय स्वरूप मनोकामनाएं पूर्ण करता है। मां को सोने की नथनी, कान के बाले, मंगल सूत्र के साथ स्वर्ण की परत भी चढ़ाई जाती है। नवरात्रि के दौरान मां बगलामुखी माता मंदिर में घटस्थापना के बाद माता का अलग-अलग दिन अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है
महाभारत काल का है मां बगलामुखी का मंदिर
मान्यता है कि बगलामुखी का यह मंदिर महाभारत काल का है। मंदिर के पुजारी कैलाश नारायण के मुताबिक कृष्ण की प्रेरणा से पांडवों ने यहां महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए साधना की थी। पहले इसे माताजी का देहरा के नाम से जाना जाता था। यहां पूजा में हल्दी और पीले रंग के पूजन सामग्री का विशेष महत्व है। यह संभवत: अकेला मंदिर है जहां मां को पूजा में खड़ी हल्दी और हल्दी पाउडर चढ़ाया जाता है।