न्यूज़ सुनें....
|
सीने में दर्द कई वजह से होता है और इसके लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक, वात, पित्त और कफ तीनों दोषों की वजह से भी सीने में दर्द होता है। पंचकर्म अस्पताल के आयुर्वेदाचार्य डॉ. आर पी पराशर से जानते हैं सीने में दर्द के आयुर्वेदिक और घरेलू इलाज के बारे में।लोगों को अक्सर गलतफहमी होती है कि सीने में दर्द सिर्फ दिल का दौरा पड़ने से होता है। इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं। छाती में भारीपन व दर्द, तेज चुभन से लेकर हल्का दर्द होता है। चेस्ट पेन में कभी दबाव और जलन जैसा भी महसूस होता है। कुछ लोगों को चेस्ट पेन की वजह से गर्दन और जबड़ों में भी दर्द महसूस होता है।
सीने में दर्द
डॉ. पराशर कहते हैं कि त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ के घटने या बढ़ने से छाती में दर्द की समस्या होती है। खाना खाते समय मुंह में लार बनती है। यह खाने में मौजूद स्टार्च को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ती है। इसके बाद खाना, नली से होते हुए पेट में आता है, जहां पेट के अंदर की परत खाने को हजम करती है। इस दौरान एसिड भी बन सकता है। कई लोगों में लोवर इसोफैगियल स्फिंक्टर ठीक से बंद नहीं होती जिससे एसिड वापस बाहर इसोफैगस में चला जाता है।
इससे छाती में भारीपन और तेज जलन होती है। इसे ही जीईआरडी या एसिड रिफ्लक्स कहते हैं। दिल का दौरा पड़ने से पहले दर्द और जकड़न हो सकती है। इससे बांह, कमर, गर्दन और जबड़े में दर्द या भारीपन भी महसूस होता है। कभी-कभी यह दर्द बॉडी के किसी भी हिस्से से शुरू होकर सीधे सीने तक भी पहुंचता है इसलिए लोग इसे हार्ट बर्न से जोड़ते हैं।
सीने में दर्द के कारण
सीने में दर्द हार्ट प्रॉब्लम के अलावा कुछ और कारणों से भी हो सकता है। यह फेफड़ों में इन्फेक्शन, आहार नली, मसल्स, पसलियों, नर्वस सिस्टम के कारण भी हो सकता है। गर्दन के निचले हिस्से से लेकर पेट के ऊपरी हिस्से तक कहीं भी छाती या सीने में भारीपन व दर्द महसूस हो सकता है।
छाती में दर्द किस वजह से हो सकता है?
फेफड़े की बीमारी- फेफड़ों की बीमारी होने की वजह से छाती में दर्द हो सकता है। ऐसे में सीने के बगल में दर्द है तो सांस लेने या खांसने से दर्द बढ़ता है। सीने में दर्द के कारणों में फेफड़ों में सूजन हो सकती है। निमोनिया और दमा भी सीने में दर्द का कारण बनता है।
प्ल्यूराइटिस- छाती की अंदरुनी झिल्ली में सूजन चेस्ट पेन का कारण हो सकती है। फेफड़े की ऊपरी सतह पर मौजूद झिल्ली में सूजन आ जाए तो छाती की अंदरुनी झिल्ली की सूजी हुई सतह से सांस लेने पर हवा रगड़ खाने लगती है, जिससे असहनीय दर्द होता है। इसे प्ल्यूराइटिस कहते हैं। ज्यादातर प्ल्यूराइटिस का कारण टीबी का इन्फेक्शन या निमोनिया होता है।
टीबी- सीने में दर्द का मुख्य कारण टीबी भी हो सकता है। इस बीमारी में भी फेफड़ों की झिल्ली में सूजन आ सकती है जिसकी वजह से मरीज के सांस लेने पर सूजी लेयर में हवा रगड़ खाने से दर्द होने लगता है।
एंजाइना पेक्टोरिस- सीने के बाईं ओर के दर्द का एक कारण हार्ट अटैक भी हो सकता है। सीने में बार-बार दर्द होना एंजाइना पेक्टोरिस का लक्षण होता है जो दिल की बीमारी का रूप ले लेता है। इस परेशानी में दिल तक पहुंचने वाले ब्लड की मात्रा कम हो जाती है। दिल को ऑक्सीजन की पूर्ति न होने से चेस्ट पेन के साथ सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज- दिल की धमनियों के दर्द को पेरिफेरल वैस्कुलर कहा जाता है। दिल से जुड़ने वाले बॉडी पार्ट्स और ब्रेन को ब्लड पहुंचाने वाली धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन बाधित होने पर छाती में दर्द होता है।
कोरोनरी आर्टरी डिसेक्शन- कोरोनरी धमनी में किसी छेद या खरोंच होने को कोरोनरी आर्टरी डिसेक्शन कहा जाता है। इसके कारण अचानक दर्द हो सकता है।
हड्डी-तंत्रिका- सीने की पसली टूटने की वजह से भी छाती में दर्द होता है। पसलियों की सूजन के आस्टीकान्ड्टिस कहते हैं है, जो चेस्ट पेन का कारण बनता है। स्पाइन में इंजरी भी सीने में दर्द पैदा करती है, जिसमें कार्डियक पेन का पता लगाना मुश्किल हो जाता है। हर्पिस की वजह से नसों में होने वाली सूजन में सीने में दर्द होता है।
पेट की परेशानी- एसिडिटी की वजह से भी कई बार सीने में दर्द और बेचैनी होती है। कई बार खाने की नली में ऐंठन या पेप्टिक अल्सर की वजह से भी सीने में दर्द होता है। जब पित्त की थैली में गैस बनती है और ये गैस छाती के तरफ जाती है तो छाती में गैस के लक्षण महसूस होने लगते हैं और चेस्ट पेन होने लगता है।
हार्ट अटैक-हार्ट बर्न में फर्क
हार्ट बर्न या एसिडिटी दिल के दर्द से नहीं होता बल्कि यह प्रॉब्लम पेट में बनने वाले एसिड की वजह से पैदा होती है। सीने या गले में जलन और खट्टी डकार आना, उल्टी का मन करना, पेट भारी-भारी लगना, यह सब हार्ट बर्न के लक्षण हैं। यह वाल्व पेट में बनने वाले एसिड को आहार नली की तरफ धकेलता है जिससे छाती में गैस के लक्षण महसूस होते हैं।
शरीर के अन्य अंगों की तरह हृदय को भी लगातार काम करने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। दिल तक ब्लड ले जाने वाली रक्त वाहिकाओं को कोरोनरी धमनी कहते हैं। लेकिन जब कभी वसा, प्रोटीन या ब्लड क्लॉटिंग के कारण कोई धमनी अचानक से ब्लॉक हो जाती है, तो दिल को नुकसान होता है।
सीने में दर्द से बचाव कैसे करें
सीने में दर्द से बचाव के लिए डाइट और लाइफस्टाइल चेंज करना जरूरी है। छाती में दर्द का कारण अस्वस्थ खानपान मूल रूप से होता है। खानपान में सुधार के साथ हमें नियमित रूप से व्यायाम भी करना चाहिए।
लाइफस्टाइल में बदलाव जरूरी
- एक्सरसाइज करें- तेज कदमों से चलना, सीढ़ियां चढ़ना, बैडमिंटन या टेनिस खेलना।
- सीने में दर्द का कारण अस्वस्थ खानपान भी है। खानपान में सुधार के साथ नियमित रूप से व्यायाम जरूरी है।
- ज्यादा ठंड वाले वातावरण से बचें।
डाइट में बदलाव
- डाइट में फाइबर की मात्रा को बढ़ाएं और कैलोरी की मात्रा कम करें।
- खाने में नमक की मात्रा कम करें और अगर हो सके तो बिल्कुल छोड़ दें।
- स्मोकिंग दिल की बीमारी को बढ़ाता है इससे परहेज करें।
- नियमित रूप से एक गिलास अनार का जूस पियें।
सीने के दर्द के लिए घरेलू उपाय
लहसुन- लहसुन छाती में दर्द के लिए बहुत उपयोगी है। रोजाना लहसुन खाने से दिल की बीमारी होने की संभावना कम होती है और उसका इलाज करने में मदद मिलती है। ये कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और प्लाक के धमनियों तक पहुंचने से रोकता है। इसकी मदद से ब्लड सर्कुलेशन में भी सुधार आता है। रोजाना 1 चम्मच लहसुन का रस गर्म पानी में डालकर सेवन करें। नहीं तो एक लहसुन और 2 लौंग रोजाना चबाकर सेवन करें।
अदरक- अदरक भी दिल रोगों में उपयोगी होता है। अदरक में जिंजरोल नामक रासायनिक यौगिक होता है जो कोलेस्ट्रॉल लेयर को कम करता है। अदरक में एंटीऑक्सीडेंट के गुण भी होते हैं जो ब्लड वाहिकाओं को खराब होने से बचाते है। अदरक की चाय का रोजाना सेवन करे। अदरक को पानी में उबाले और उस पानी का रोजाना सेवन करें। रोजाना कच्चे अदरक का सेवन करें।
बादाम- बादाम पॉली नैचुरल फैटी एसिड से समृद्ध है। इसमें मैग्नीशियम भी होता है। ये कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और सीने में दर्द होने के खतरे को कम करता है। सीने में दर्द होने पर बादाम का तेल और गुलाब का तेल एक साथ बराबर मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण को सीने में धीरे-धीरे लगाएं। इसके अलावा रोजाना मुट्ठीभर बादाम का सेवन करें।
एलोवेरा- इसमें औषधीय गुण होते हैं। यह दिल को मजबूत कर कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने, ट्राइग्लिसराइड लेवल को कम करने और ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है। रोजाना 1/4 कप जूस गर्म पानी के साथ सेवन करें।
अनार- अनार दिल की प्रॉब्लम को दूर करने में बहुत उपयोगी है। यह तनाव को कम कर धमनियों की दीवारों में होने वाले नुकसान और ऑक्सीकरण को रोकने में मदद करता है।
तुलसी- तुलसी के पत्ते में विटामिन के और मैग्नीशियम पाया जाता है। मैग्नीशियम दिल में ब्लड में कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने से रोकता है। यह दिल के रोग और सीने दर्द के इलाज में मदद करता है। एक चम्मच तुलसी के रस को शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है। 8-10 तुलसी के पत्ते खाने से भी सीने के दर्द में आराम मिलता है।
डॉक्टर के पास कब जाएं
छाती में गैस के लक्षण महसूस हों और सीने में दर्द होने लगे तो घरेलू उपचार से ठीक कर सकते हैं, लेकिन ऐसा बार-बार होने पर कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।