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धार….
अपने गांव में MBA Chaiwala की आऊटलेट खोलने के सपने को लेकर एक युवती उत्तर प्रदेश से 1250 KM का सफर तय कर धार पहुंची। युवती प्रदेश स्तर पर रेसलर और बॉडी बिल्डिंग में कई पदक अपने नाम कर चुकी है। प्रतिदिन 250 KM का सफर तय करके 5 दिनों में आऊटलेट के मालिक से मिलने पहुंची, हालांकि यहां प्रफुल्ल बिल्लोरे से उसकी मुलाकात नहीं हो पाई। लेकिन प्रफुल्ल के पिता सोहन बिल्लोरे ने वीडियो कॉलिंग के माध्यम से युवती रोमा गुप्ता की प्रफुल्ल से बात कराई। इस दौरान प्रफुल्ल बिल्लोरे ने अपनी टीम के माध्यम से क्षेत्र का विजिट करने का आश्वासन दिया, साथ ही पिता ने कहा कि वे भी बेटियों को आगे बढ़ता देखना चाहते हैं। ऐसे में बेटी रोमा गुप्ता की हरसंभव मदद करेंगे।
क्या है MBA Chaiwala
MBA Chaiwala चाय का फेमस ब्रांड है। जिसके देशभर में लगभग 40 आउटलेट है। इसे प्रफुल्ल बिल्लोरे में खोला है। प्रफुल्ल धार के रहने वाले है। MBA Chaiwala का देश के कुछ ओर स्थानों पर निर्माण का काम चल रहा है। रोमा गुप्ता, प्रफुल्ल से मिलने धार पहुंची थी। लेकिन प्रफुल्ल बिल्लोरे एक टीवी प्रोग्राम में शामिल होने के लिए 10 दिनों के लिए दिल्ली गए है। ऐसे में वीडियो कॉलिंग पर चर्चा के दौरान रोमा गुप्ता को आश्वासन दिया कि उनकी टीम के पास उनका मोबाइल नंबर और एड्रेस पहुंच गया हैं। जल्द ही गोरखपुर में विजिट करके आउटलेट के संदर्भ में चर्चा करेंगे।
पिता मजदूर, घर में 5 बहने
रोमा पिता सुरेश गुप्ता ग्राम जमुनिया पंडित जिला महाराजगंज उत्तर प्रदेश की निवासी हैं। रोमा का गांव गोरखपुर के पास और नेपाल बॉर्डर से करीब 80 किलोमीटर दूर है। रोमा ने चर्चा में बताया कि एमबीए चायवाले प्रफुल्ल भईया का वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से देखा था, उनके संघर्ष की कहानी सुनकर लगा कि अपने क्षेत्र के लिए भी कुछ करना चाहिए। एमबीए चायवाले ने भी जीवन में संघर्ष करके इस मुकाम को हासिल किया है। ऐसे में गांव में इस प्रकार का आऊटलेट खोलने का सोचकर धार आने के लिए गूगल मैप का प्रयोग किया, और उनके पिता का एड्रेस गूगल के माध्यम से पता किया। रोमा बताती हैं कि घर में 5 बहने और 1 भाई हैं। पिता गांव में ही खेत में मजदूरी का काम करते है।
लड़कियां चलाएगी आउटलेट
रोमा के अनुसार साइकलिंग में रेसलर रहने के कारण बाडी फीट रहती हैं। इस कारण ही साइकिल का उपयोग धार आने के लिए किया। इस दौरान दोपहर के समय 2 स्थानों तक पहुंचने के लिए बस का भी उपयोग किया। दोपहर में तेज धूप होने के कारण साइकिल चलाने में आ रही दिक्कत के कारण बस पर साइकिल रखकर उसकी सवारी की। रोमा घर से करीब 1600 रुपए खर्च को लेकर निकली थी। रास्ते में बैंक खाते से 2000 हजार रुपए निकले थे। कुछ स्थानों पर बस स्टॉप के पास में स्थित धर्मशाला, छोटे लॉज और होटल में रात्रि के समय रुककर विश्राम किया। रोमा के अनुसार उनके पास रुपयों की कमी जरुर हैं लेकिन इस आउटलेट को खोलकर क्षेत्र की अन्य युवतियों को इससे जोड़कर रोजगार देगी। साथ ही इसका पूरा संचालन भी लड़कियों के माध्यम से किया जाएगा। प्रफुल्ल बिल्लोरे के पिता सोहन बिल्लोरे ने युवती रोमा गुप्ता के रुकने की व्यवस्था की। साथ ही भोजन सहित अन्य जरुरत की चीजों को उपलब्ध कराया है।
पैसा कमाना उद्देश्य नहीं
रोमा गुप्ता का कहना है कि आउटलेट के माध्यम से पैसा कमाना उनका उद्देश्य नहीं है। छोटे से गांव की लड़कियों को रोजगार देना उनका प्रमुख उद्देश्य है। इसके पहले एमबीए चाय वाले भईया से कोई चर्चा नहीं हुई थी, सिर्फ मिलने की इच्छा और क्षेत्र में आउटलेट खोलने का विचार मन में आने पर अन्य संसाधनों की जगह साइकिल से सफर किया। करीब 1 हजार किलो मीटर का सफर साइकल से ही पूरा किया है। रोमा के अनुसार अगर उनके क्षेत्र में आउटलेट खुलती हैं तो वे इससे होने वाली बचत के माध्यम से धीरे-धीरे पूरे रुपए जरुर दे सकती है।