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भोपाल….
भाजपा आंशिक तौर पर शिवराज सरकार में गुजरात फॉर्मूला लागू कर सकती है। ऐसा करके एंटी इनकम्बेंसी कम करने की कोशिश की जाएगी। इसमें उन मंत्रियों को हटाया जा सकता है, जिनका परफॉर्मेंस ठीक नहीं है। शिवराज सरकार का तीसरा और अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार और बड़ा फेरबदल फरवरी के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना है, क्योंकि 25 फरवरी तक भाजपा की विकास यात्रा निकलेगी।
10 से 12 नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल होने के संकेत हैं। मंत्रिमंडल में फिलहाल चार पद खाली हैं। माना जा रहा है कि मौजूदा मंत्रियों में 6 से 8 की छुट्टी हो सकती है। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर मंत्रियों के विभागों में फेरबदल हो सकता है। वर्तमान में मुख्यमंत्री को मिलाकर कैबिनेट में 31 सदस्य हैं। मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री सहित 35 सदस्य हो सकते हैं। इन चार खाली पदों को भरे जाने के साथ ही नॉन परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों को बदला जा सकता है। हाल ही में हुई दो कोर कमेटियों में इस पर सहमति बन गई है। कुछ मंत्रियों की शिकायतें भी कोर कमेटी तक पहुंची थी। बीजेपी प्रदेश में 5 से 25 फरवरी तक विकास यात्रा निकालेगी। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान क्षेत्र में परफॉर्मेंस के बेस पर मंत्रियों और विधायकों की फाइनल रिपोर्ट तैयार होगी। पार्टी सूत्रों के अनुसार मंत्रिमंडल विस्तार का एक आधार यह रिपोर्ट भी होगी। इस यात्रा से पहले मंत्री अपने प्रभार वाले जिलों में जाकर जमीनी हकीकत का आंकलन भी करेंगे।
शिवराज कैबिनेट में 6 मंत्री रडार पर, इनमें दो सिंधिया समर्थक
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि मौजूदा कैबिनेट में 6 मंत्री रडार पर हैं। इसमें बुंदेलखंड के दो, मालवा-निमाड़ से एक, ग्वालियर संभाग के एक, मध्यभारत से एक और विंध्य से एक मंत्री शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल दौरे में साफ किया था कि सबको अपना-अपना काम निष्ठा से करना होगा। माना जा रहा है कि उन मंत्रियों के विभाग बदले जा सकते हैं, जिनके पास भारी भरकम विभाग है। हालांकि सीएम शिवराज चुनाव के पहले रिस्क नहीं लेना चाहेंगे। ऐसे में मंत्री पद से किसे हटाया जाएगा, यह फैसला केंद्रीय नेतृत्व लेगा।
सिंधिया समर्थक 2 विधायक जज्जी-चौधरी बन सकते हैं मंत्री
शिवराज कैबिनेट में 30 फीसदी मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक हैं। सिंधिया समर्थक विधायकों में 6 मंत्री को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है और तीन राज्यमंत्री हैं। माना जा रहा है कि सिंधिया समर्थक मंत्रियों पर भी गाज गिर सकती है। अभी ये साफ नहीं हुआ है कि किन मंत्रियों को हटाया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो सिंधिया खेमे के जजपाल सिंह जज्जी और मनोज चौधरी को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। जज्जी को दलित कोटे, जबकि चौधरी को क्षेत्रीय समीकरण साधने के लिए एंट्री दिलाई जा सकती है।
विधानसभा चुनाव को देखते हुए बढ़ सकता है विंध्य का कोटा
2023 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी अब स्थानीय और जातिगत समीकरण भी साधने की तैयारी में भी है। विंध्य क्षेत्र में 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था। 2023 में यहां फिर से उसी तरह के प्रदर्शन को दोहराने के लिए बीजेपी यहां से मंत्रियों की संख्या बढ़ा सकती है।
यह चौंकाने वाला.. चुनाव से पहले मंत्री बने 11 विधायकों में से 4 अगला चुनाव हारे
सीएम शिवराज सिंह के पिछले तीन कार्यकाल को देखें तो चुनाव से पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान 11 विधायकों को कैबिनेट में शामिल किया गया। इसमें से 4 अगला चुनाव हार गए और 2 को टिकट ही नहीं मिला, जबकि विजय शाह, जालम सिंह पटेल और अंतर सिंह आर्य जीत तो गए, लेकिन मंत्री नहीं बन पाए। तीनों की जीत की मुख्य वजह भी अपने-अपने क्षेत्र में खुद प्रभाव था। इसमें से भी सिर्फ विजय शाह व जालम सिंह को फिर से सरकार में जगह मिल पाई।
चुनाव से पहले फेरबदल में जातीय समीकरण पर फोकस
चुनाव से कुछ महीने पहले मंत्री बनने के बावजूद विधायक चुनाव क्यों हार जाते हैं या फिर उन्हें टिकट ही नहीं मिला? इस सवाल पर राजनीतिक विश्लेषक अरुण दीक्षित कहते हैं कि मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट बनाते समय विधायक की योग्यता व अनुभव से पहले जातीय व वर्ग समीकरण व क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता देते हैं। यही वजह है कि जिन वर्गों व जातियों को साधना होता है, उनका सरकार में प्रतिनिधित्व देने के लिए चुनाव से पहले ऐसे विधायकों को मंत्री बना दिया जाता है, जबकि उनसे योग्य विधायक मौजूद रहते हैं।