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इंदौर….
राहुल गांधी की जब से मप्र में यात्रा शुरू हुई उसके बाद भाजपा के कई नेताओं द्वारा उनके द्वारा दिए गए बयानों की आलोचना की जा रही है। शुक्रवार को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने उनकी यात्रा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने के बाद उन्होंने लगातार दो ट्वीट कर उन पर हमला बोला था। इसी कड़ी में उन्होंने शनिवार सुबह अपने ट्वीटर पर एक वीडियो शेयर किया है। इसमें उन्होंने अपने मित्र अतुल ज्वाला का हवाला देते हुए लिखा है कि उन्होंने राष्ट्रीय पदयात्रा के सम्मान में एक शानदार कविता लिखी है।
उक्त 2.20 मिनट का है जिसमें राष्ट्रीय पद यात्री को राहुल गांधी की स्टाइल में हाथ हिलाते हुए पद यात्रा करते हुए बताया है। हालांकि राष्ट्रीय पद यात्री वीडियो में अकेले दिख रहे हैं और उनकी कविता की हर लाइन राहुल गांधी की पद यात्रा और कांग्रेस पर इशारा कर रही है।
जानिए क्या है कविता-
तुम मुझे बुद्ध क्यों मानते हो भला
मैं जानता हूं आलू से सोना बनाने की कला
रुपया जो पूरा था उसकी चवन्नी कर दी
ऐसा चक्कर चलाया कि पार्टी चकरघन्नी कर दी
मोबाइल की फैक्ट्री कहां-कहां लगेगी यह देखने निकला हूं
मैं बुझे हुए चूल्हे पर राजनीति की रोटी सेंकने निकला हूं
भाई साहब, मैं पैदल हूं और यात्रा पर निकला हूं
यूपी से हारू तो केरल से लड़ता हूं
मैं गले मिलता नहीं गले पड़ता हूं
मैं हर धर्म का अलग-अलग चोला साधता हूं
बस कभी-कभी गलत जगह आंख मारता हूं
पार्टी कहां-कहां पड़ी है अचेत
यह देखने निकला हूं
मैं गुड और शक्कर देखने निकला हूं
भाई साहब मैं पैदल हूं और यात्रा पर निकला हूं
मेरे बोलने से आता है भूकंप
उस चायवाले की टीआरपी में आता है जम्प
जिस-जिस डाली पर बैठा वह डाली ही हाफ कर दी
ऐसा सफाई पसंद हूं की पार्टी ही साफ कर दी
जो-जो डाली टूट गई वह डाली जोड़ने निकला हूं
मैं कपास के खेत में रजाई तोड़ने निकला हूं
भाई साहब मैं पैदल हूं और यात्रा पर निकला हूं
मैं होठों के कैनवास पर मुस्कानों का चित्रकार हूं
शिन चेन, छोटा भीम का सरदार हूं
मैं व्यक्ति नहीं विचार हूं
विचार का आधार हूं
मेरे दर्शन कर लो
युग का आखिरी अवतार हूं…