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रायपुर….
छत्तीसगढ़ में रायपुर के एनआईटी से बीटेक (मैकेनिकल) दिव्यांजलि जायसवाल ने आईएएस बनने के अपने लक्ष्य को शानदार तरीके से प्राप्त किया है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में उन्होंने 216वीं रैंक हासिल की है। दिव्यांजलि का यह तीसरा अटेंप्ट था।
रायपुर के मोहना बाजार निवासी डा. अशोक जायसवाल एवं श्रीमती शोभा गुप्ता जायसवाल की होनहार पुत्री दिव्यांजलि अपने दो शुरुआती प्रयासों में इंटरव्यू तक पहुंची थीं, लेकिन फाइनल रिजल्ट में जगह नहीं बना पाईं। तीसरे प्रयास में उनके सपने को मंजिल मिल ही गई। बहुत आमफहम और विनम्र दिव्यांजलि जायसवाल बताती हैं कि बीटेक फाइनल ईयर के दौरान उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में बैठने और आईएएस बनने का संकल्प कर लिया था, हालांकि रायपुर के रेडियेंट वे स्कूल से 12वीं की पढ़ाई के दौरान उसने पहली बार आईएएस बनने का सपना देखा था। दिव्यांजलि अपनी सफलता का श्रेय को श्रेय देती हैं जिन्होंने विज्ञान और मानविकी, दोनों विषयों की ओर से उसके रुझान व जिज्ञासा को देखते हुए उसे आईएएस पद व यूपीएससी परीक्षा के बारे में जानकारी दी और इसे ही अपना लक्ष्य बनाने की विचार दिया। वह अपने रेडियेंट वे स्कूल के अध्यापकों का भी आभार मानती हैं जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा ग्रहण की, और उसका मानना है कि यहीं शिक्षा में उसकी नींव मजबूत हुई, जो उनका सफलता का आधार बनी। अब दिव्यांजलि को महसूस होता है कि बेहतरीन शुरुआती शिक्षा की वजह से ही वह आज यह कामयाबी हासिल कर सकी हैं।
2018 में दिव्यांजलि जायसवाल यूपीएससी की कोचिंग के लिए दिल्ली भीं गईं, औऱ वहां करीब दस महीने रहीं। कोरोना के चलते लॉक़डाउन शुरु होने से ठीक पहले वह रायपुर लौट आई और फिर यहीं रहकर तैयारी की। दिव्यांजलि कहती हैं कि यूपीएससी के लिए स्टडी मैटेरियल बहुत अधिक होता है, ऐसे में सिलेक्टिव और गूढ़ अध्ययन बहुत जरूरी है। इसके अलावा जनरल स्टडीज के लिए एनसीईआरटी की पुस्तकों और अखबारों का अध्ययन निरंतर करना चाहिए। दिव्यांजलि ने बताया कि घर में रहकर उन्होंने काफी पढ़ाई ऑनलाइन की। ऑनलाइन देखकर ही नोट्स तैयार किए, और ऑनलाइन टेस्ट सीरीज भी की। वह रोज 8 घंटे पढ़ती थीं, एग्जाम के दिनों में 14-14 घंटे पढ़ाई की। सोशल मीडिया और व्हाट्सएप से दूर रहीं। 3 साल कोई फिल्म नहीं देखी जो उनका फेवरेट टाइमपास है, और इस दौरान एक-दो शादी ही अटेंड की होगी। बहुत सारे दोस्तों और रिश्तेदारों से दूर रहीं। उसका कहना है कि सेल्फ मोटिवेशन और पेरेंट्स के सपोर्ट से उनके कदम कामयाबी की ओर बढ़ते गए। दिव्यांजलि के पिता डा. अशोक जायसवाल रायपुर के साइंस कालेज से रिटायर्ड प्रोफेसर हैं।
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